तो भक्त जनों
आज की कथा हम छंद में गाएं,
आपसे अनुरोध है आप ताल मिलाए..
नये भक्तों की भक्ति देख कर देवर्षि घबराए,
शिव भोले भंडारी हैं,कहीं पट ही न जाए..
जल थल सब छोड़ के वायु मार्ग अपनाए,
झट उठा कर वीणा हरि लोक चले आए..
प्रभु संकट है भारी, कुछ करें उपाय,
शिव के द्वारे फिर असुर हैं आए..
हरि सब पीर हरें अब आप बचाएं,
बूझन लागे प्रभु,नारद सब हाल सुनाए..
प्रभु आज के नेता हैं सब कछु कर जाए,
सब बाँट के खाएं तनी लाज न आए..
धनधान्य-धरा ये चारा भी चर जाए
गाय काट के खाय और डकार न लाए..
चहुं ओर आग लगाए,सब नर नारी सताए
महापाप करिके अब नाथ के द्वार पे आए..
शिव भोले भंडारी हैं कहीं पट ही ना जाए..
देख के चिंता नारद की,भगवन तजे विश्राम,
झट से गरूड़ उठाय के चले गिरि कैलास..
नीलकंठ जब समाधि से जागे,
हरि नारद झट से पग लागे..
कैसी विपदा जगत में छाई ,
जो आज ये जोड़ी चली आई..
फिर हरि ने सब विपत्ति सुनाई,
काल के नाथ से गुहार लगाई..
भगवन् नंगे रंगे सियार हैं सारे,
फिर छलने आए हैं आपके द्वारे..
हरि की चिंता देखि के शिव बोले मुसकाय,
शरणागत वत्सल हैं हम,करते सदा सहाय..
वो आज के नेता है,हम आज के ईश्वर,
जैसे होंगे भक्त वैसी कृपा करेंगे उन पर,
ज्ञान भी देंगे उन्हें ध्यान भी देंगे,
बुद्धि शुद्धि का वरदान भी देंगे,
हम काल हैं महाकाल भी हम,
प्राण भी देंगे और त्राण भी देंगे..
जो आए हैं द्वार पे उद्धार करेंगे ..
इटली पठा के फिर श्रीराम करेंगे..
ऐसी वाणी जब शिव सुनाए,
देवर्षि की जान में जान है आई..
प्रभु ने दिया विश्वास
तो हरि चले निजधाम..
बोलो जय श्री राम..
अक्षिणी