सुबह और शाम का ये सफर, चलता रहे मन हो के बेखबर.. तेरी रहमत पे हो मुझको यकीं, मेरी हस्ती पे रहे तेरी नजर..
अक्षिणी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें