शिकंजी उदयपुरी..
गुरुवार, 23 मार्च 2023
बुधवार, 8 मार्च 2023
जाने कहाँ जा रहीं हैं औरतें..
सुट्टा मार कर धुआँ उड़ा रहीं हैं औरतें..
ठेकों और ठियों पर जिस-तिस को गरिया रहीं हैं औरतें..
कहने को पढ़ रहीं हैं, बढ़ रहीं हैं
जाने क्या करना चाह रहीं हैं औरतें?
अड़ रहीं हैं,लड़ रहीं हैं,
ओढ़ कर मुस्कान झूठी,
जाने कहाँ जा रहीं हैं औरतें?
बराबरी के नाम स्वयं को
छले जा रहीं हैं औरतें,
जाने क्यों पुरुष बन
जीना चाह रहीं हैं औरतें..
~अक्षिणी
गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023
मन की सोच..
मन की सोच, मन पर बोझ..
मन का खोट, मन पर चोट..
मन की भूल, मन का शूल..
मन की टोह, मन का मोह..
मन की मार, मन पर भार..
मन की डोर, कुछ ना छोर..
मन की दौड़, मन का तोड़..
मन के मोर, मन चितचोर..
मन के तार, मन संसार..
मन का मैल,मन का खेल..
मन के रेले, मन के मेले..
~अक्षिणी
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023
प्रेम..
प्रेम एक भाव घन,
प्रेम से संसार सब..
प्रेम एक छांव कोई,
प्रेम एक ठांव कोई..
प्रेम बाँधे नेह को,
प्रेम साधे देह को..
प्रेम भक्ति, प्रेम पूजा,
प्रेम शक्ति, प्रेम ऊँचा..
प्रेम दर्पण, प्रेम दर्शन,
प्रेम अर्पण, प्रेम तर्पण..
प्रेम मृत्यु, प्रेम जीवन,
प्रेम नहीं कोई प्रदर्शन..
प्रेम सब दिन,
प्रेम निस दिन..!
~अक्षिणी
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023
फसाने कितने..
रोज बुनने हैं फसाने अपने..
भूल जाने हैं तराने कितने..
इक तेरे नाम पे कायम है दुनिया अपनी,
वरना लुट जाने हैं ठिकाने अपने..
चार आँसू हैं बहाने अपने..
लौट आने के बहाने अपने..
कुछ तो बात है ज़िंदगी में यारा
बीत जाएंगे जमाने अपने..
~अक्षिणी
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023
अनुवाद..
मूर्तियों के ताप से धूसरित भस्मित करोड़ों योद्धा यवन..
ये मृत्यु के दूत हमें क्या डराएंगे !
जिस भारत की पूण्य धूलि से
उठते हैं ये मूर्तन,
उसी धूलि में प्रियवर, ये भी धुसरित हो जाएंगे !!
अक्षिणी
🙏
रविवार, 29 जनवरी 2023
छंद बनें..
जब अंतस में हूक उठे तो
छंद बनें,
मन की कोयल कूक उठे तो
बंद बनें..
जब मानस में आग लगे हर
बोल जरे,
जब ढाढ़स की लाम लगे सब
तोल खरे..
आँखों में रक्त उतर आए तो
गीत बनें,
साँसों का राग उलझ जाए तो
संगीत बनें..
गीत बने जनगीत तभी,
जब लहू पुकारे गाते जाएँ..
अस्थियों का वज्र बने फिर
निज मज्जा का दीप जलाएँ..
~अक्षिणी
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