लिखो..
लिखो कि श्वास है अभी
निज मन विश्वास है अभी..
लिखो कि आंच है अभी
मनों में सांच है अभी..
लिखो समय की तान पर,
लिखो मनई के मान पर..
लिखो कि रात ढल चुकी,
दीयों के साथ जल चुकी..
लिखो कि रात ढल सके,
नये चिराग जल सके..
लिखो प्रणय की रीत भी,
लिखो मिलन के गीत भी.
लिखो कि वज्र डोलता,
समर के बोल बोलता..
लिखो हृदय को चीर कर,
मनुज हृदय की पीर पर..
लिखो कि वीर पुत्र हो,
लिखो कि दिव्य दूत हो..
लिखो कि बांच लें सभी,
धीरता को जांच लें सभी..
लिखो पिता का ध्यान कर,
पितृ ऋण का भान कर..
लिखो यूँ मातृ रूप को,
छाँव दे जो धूप को..
लिखो समय की रेत पर,
मनुज चरण की हेत भर..
~अक्षिणी
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