शहर के आइने अब अजनबी से लगे हैं,
जानते ज़रूर हैं मगर पहचानते नहीं हैं..
अक्षिणी
Where sound can not travel light can..let there be light of inner peace and contentment without the usual contortions of sound..
देखो कैसा कोलाहल है
बाहर भीतर फैला जंगल
शून्य हुए सारे स्पंदन
कोलाहल के शून्य में
खो जाते स्वर संज्ञा के
कैसे सुन पाएं स्वर प्रज्ञा के
आवाज़ों के कोलाहल को
त्याग चलो और मौन चुनो,
सारे अंधियारे सो जाऐंगे,
अंतरतम का मौन सुनो,
दीप्ति लिए संतृप्त चलो ,
मन में उजियारे हो जाऐंगे..
अक्षिणी
फेसबुक से वाट्सएप को,
वाट्सएप से ट्विटर को आए
ट्विटर से भी बोर हुए,
अब "शिकंजी" कहाँ जाए..
ट्विटर खेलन मैं चली,
अकाउंट लियो बनाय
बार बार के ट्विटते,
"शिकंजी" गई बौराय
ट्विटर ट्विटर मैं करूँ,
अंगुली गई थकाय,
ट्विटत ट्विटत ओ "शिकंजी",
दिमाग दही होई जाय..
आरटी आरटी सब करे,
आरटी मिले न मोय,
लाईक लाईक देख "शिकंजी",
मनवा मोरा रोय..
कोई ट्विट तो यूँ चले,
चार आरटी होय जाए.
इशक विशक की शायरी,
"शिकंजी" को जरा ना आए ..
ट्विटर की महिमा का कहें,
सब कुछ दियो पढ़ाय.
गाली जानत ना "शिकंजी",
ट्विटर दीन्ह सिखाय..
आरटी ढूंढन मैं चली,
आरटी मिले न हाय,
लाईक लाईक के फेर में,
"शिकंजी",ट्विट अकारथ जाए.
देर रात तक ट्विटर चले,
उल्लू बन ट्विटियाए..
नहाय धोय के हाय "शिकंजी",
ट्विटर पर डट जाए..
अक्षिणी
ज़िंदगी तेरे सफर,
अनजान कुछ इस कदर..
रीते मौसम हर डगर
सावन सारे पहर दो पहर
बदहाल गुल है इस कदर
अनजान तू बेखबर..
ख़ुद से गाफिल शामोसहर,
अहसान सा अपना सफर..
मुलाकात अपनी तय मगर
किस मोड़ पे औ' कब किधर..
ज़िंदगी तेरे सफर,
हैरान हम क्यूँ बेसबर..
अक्षिणी
एक चाह की छूटी तदबीर सही
एक ख्वाब की टूटी तसवीर सही
टूटे मानों का धीर तो क्या
छूटे दानों का सीर तो क्या
चुभती हर पीर को पीना होगा
हर हाल में तुझको जीना होगा
सूखी आँखों का नीर तो क्या
उलझी राहों का चीर तो क्या
टूटी साँसों की जंजीर सही
भूली यादों की शमसीर सही
चुभती हर पीर को पीना होगा
हर हाल में तुझको जीना होगा
अक्षिणी
खाओ पिओ मौज करो,
काम के नाम पे धरना धरो
फिर बीमार पड़ो और भाग लो..
वोटर त्रस्त, लीडर मस्त
जनता फिर से पस्त,
मालिक अपना मस्त..
अक्षिणी
कर्म के घोड़े,निस दिन दौड़े
मूरख मनवा ,आस न छोड़े..
मोह के बाने निपट निगोड़े,
भाग के बंधन टूटे ना तोड़े ..
अक्षिणी
सुख और दुख का साथ सनातन
दुख के बिना सुख आधा-अधूरा
कांटों संग है फूल का जीवन,
बिन कांटे कहाँ उपवन पूरा
साथ चले हैं रात और दिन
रात नहीं तो दिन बंजारा
हँसना रोना साथ चले है ,
आँसू बिना मुस्कान खिले ना
धूप और छांव का मेल है जीवन
धूप नहीं तो छांव बैरागन..
अक्षिणी
Karu my chum
Has a heavy heavy bum
Lazy crazy fun
Never does he run
Karu makes my day
Has a very little say
Slow n steady way
Never does he play
Karu , not a Buoy
Doesn't fetch a Toy
nods its little head
Such a great Joy..
Akshini
दौड़ दौड़ दौड़,
ख्वाहिशों की दौड़
होड़ होड़ होड़ ,
चाहतों की होड़
तोड़ तोड़ तोड़,
आसमां के तारों को तोड़
छोड़ छोड़ छोड़,
भाग ज़मीं को छोड़
जोड़ जोड़ जोड़,
दहलीजों को जोड़
मोड़ मोड़ मोड़,
रास्तों को मोड़
तोड़ तोड़ तोड़,
बेड़ियों को तोड़
अक्षिणी
ये जो ताल्लुक की बातें और निभाने के वादे हैं,
इतना समझ लीजे, उम्र भर सताने के इरादे हैं..
अक्षिणी
गज़ब यकीं था उस को
ख़ुद पर मेरे यार,
अंधों के शहर में वो करता था
आईनों का बाजार...
दिखाया करता था मुर्दों को
ज़िंदगी के वो ख़्वाब ,
सुनाया करता था दुआओं को,
वो रूहों की आवाज़..
-अक्षिणी
मेरे दिन ,
तेरे बिन,
इक याद लिए..
भीगे दिन,
तेरे बिन,
बरसात लिए..
रीते दिन,
तेरे बिन,
हर हाल जिए..
बीते दिन,
तेरे बिन,
तेरी बात किए..
अक्षिणी
ओज की हो , सोज की हो,
बावरे मन की मौज की हो
बस एक कविता रोज की हो..
रोष की हो, दोष की हो,
धूप के साये में
छाँव के मधुकोष की हो,
बस एक कविता रोज की हो..
जोश की हो, होश की हो,
गाजरों तक दौड़ते
खरगोश की हो..
एक कविता रोज की हो..
अक्षिणी