शिकंजी उदयपुरी..
बुधवार, 20 जून 2018
जहमत
सरे बाजार निकलूं,
क्यूं करूं ये ज़हमत?
काहिल सही,
मंजूर है ज़हालत की तोहमत..
अक्षिणी
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