शनिवार, 23 जून 2018

ज़िंदगी तेरे सफर..

ज़िंदगी तेरे सफर,
अनजान कुछ इस कदर..

रीते मौसम हर डगर
सावन सारे पहर दो पहर
बदहाल गुल है इस कदर
अनजान तू बेखबर..

ख़ुद से गाफिल शामोसहर,
अहसान सा अपना सफर..
मुलाकात अपनी तय मगर
किस मोड़ पे औ' कब किधर..
ज़िंदगी तेरे सफर,
हैरान हम क्यूँ बेसबर..

अक्षिणी

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