मंगलवार, 12 जून 2018

आईने


गज़ब यकीं था उस को
ख़ुद पर मेरे यार,
अंधों के शहर में वो करता था
आईनों का बाजार...

दिखाया करता था मुर्दों को
ज़िंदगी के वो ख़्वाब ,
सुनाया करता था दुआओं को,
वो रूहों की आवाज़..

-अक्षिणी

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