गज़ब यकीं था उस को ख़ुद पर मेरे यार, अंधों के शहर में वो करता था आईनों का बाजार...
दिखाया करता था मुर्दों को ज़िंदगी के वो ख़्वाब , सुनाया करता था दुआओं को, वो रूहों की आवाज़..
-अक्षिणी
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