बुधवार, 1 नवंबर 2023

जो चाँद नहीं होता..

चाँद नहीं होता तो..?
न चाँद की बाली लश्कारे मारती न चाँद की पायल खनकती..
न चाँद की कटोरी में खीर बनती
न चाँद की चाह में पीर छनती..
न चाँद को देख लोग आहें भरते
न चाँद पे सपनों के घर बनते..
न कोई चाँदनी रात में चाँदनी चौक में चाँदी की चम्मच से चीनी चटा पाता..

कवियों-शायरों गीतकारों की
रचनाओं का क्या होता?
न चाँद सा माथा होता 
न उस पर बिंदिया सितारा होता..
न चाँद की चँदनिया चमकती 
न चाँद की गगरिया छलकती..
न चौदहवीं का चाँद होता
न मुहब्बत की बात होती..
न चाँद गवाही कोई देता
न पूनो की रात होती..
न करवाचौथ का व्रत होता
न उजियारी बीज होती..

न दीद की उम्मीद होती
न उम्मीदों की ईद होती..
न कहीं कोई ईद होती
न कोई ईद का मुरीद होता..
न चाँद से चेहरे होते
न चाँद का टीका होता..
न कोई चाँदनी में खाक होता
न चाँद में दाग होता.. 
न चारूचंद्र होता न कोई चंचल चितवन..
न चाँद सी महबूबा होती
न चंदा मामा दूर के होते..

चाँद की कोई चुड़ी पहनाता 
न चाँद को कोई जल चढ़ाता..
न कोई तकता उसे रात भर
न चाँद कभी आहें भरता..
न चाँद को ज्वार आते 
न भाव के सागर उमड़ते..
जो चाँद न होता तो
कुछ भी न होता..




#शरद_पूर्णिमा

~अक्षिणी