शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024

मैं समय हूॅं..

मैं समय हूँ..
संहार हूँ,मैं ही प्रकट प्रलय हूँ
विषाद भी,मैं ही विकट विषय हूँ
संतापहरण,दुखियों का संचय हूँ
हूँ विश्वास अडिग,फिर भी संशय हूँ
मैं समय हूँ..
स्मृतियों की सरिता का जल निर्मल हूँ
इतिहासों की साखी,मैं ही गत-निर्गत हूँ
सच निर्मोही मैं,मैं ही अगत निर्मम हूँ
मैं समय हूँ..
संहार हूँ,मैं ही प्रकट प्रलय हूँ
विषाद भी,मैं ही विकट विषय हूँ
मैं समय हूॅं..
संतापहरण,दुखियों का संचय हूँ
विश्वास अडिग,फिर भी संशय हूँ
मैं..
स्मृतियों की सरिता का जल निर्मल हूँ
इतिहासों की साखी,मैं ही गत-निर्गत हूँ
सच निर्मोही,मैं ही सत अगम-निर्मम हूँ
मैं समय हूँ..
काल हूँ मैं,अकाल भी अग्नि हूँ मैं,भस्म भी
जन्म-मृत्यु के परे मैं सनातन ध्वंस हूँ 
हर घटी में चन्द्र हूँ,जीवितों में छन्द हूँ
निर्जीवों में जीव मैं हूँ अशेष मैं,शेष भी
मैं ही कालहीन त्रिकाल हूँ
सत्य-असत्य से परे, मैं तीक्ष्ण मृत्यु नाद हूँ
हूँ काल मैं, त्रिकाल भी, मैं महाकाल हूँ..

~अक्षिणी