शनिवार, 9 दिसंबर 2023

स्त्री का गिरना..

स्त्री के गिरने से
नहीं मिलती ऊँचाईयाँ
ब्रह्मांड को 
या किसी और को..
गिर कर सँभलों यदि
तो संभवतया 
कर पाओ कुछ भला..
प्रेम देता 
अनंत संभावनाएँ
ब्रह्मांड को

और सृजन?
मुँह जोहता
भावों की गरमी का
ना कि
हाथों की नरमी का..

कम नहीं होता
खुरदरी हथेलियों
का दुलार..

बुधवार, 1 नवंबर 2023

जो चाँद नहीं होता..

चाँद नहीं होता तो..?
न चाँद की बाली लश्कारे मारती न चाँद की पायल खनकती..
न चाँद की कटोरी में खीर बनती
न चाँद की चाह में पीर छनती..
न चाँद को देख लोग आहें भरते
न चाँद पे सपनों के घर बनते..
न कोई चाँदनी रात में चाँदनी चौक में चाँदी की चम्मच से चीनी चटा पाता..

कवियों-शायरों गीतकारों की
रचनाओं का क्या होता?
न चाँद सा माथा होता 
न उस पर बिंदिया सितारा होता..
न चाँद की चँदनिया चमकती 
न चाँद की गगरिया छलकती..
न चौदहवीं का चाँद होता
न मुहब्बत की बात होती..
न चाँद गवाही कोई देता
न पूनो की रात होती..
न करवाचौथ का व्रत होता
न उजियारी बीज होती..

न दीद की उम्मीद होती
न उम्मीदों की ईद होती..
न कहीं कोई ईद होती
न कोई ईद का मुरीद होता..
न चाँद से चेहरे होते
न चाँद का टीका होता..
न कोई चाँदनी में खाक होता
न चाँद में दाग होता.. 
न चारूचंद्र होता न कोई चंचल चितवन..
न चाँद सी महबूबा होती
न चंदा मामा दूर के होते..

चाँद की कोई चुड़ी पहनाता 
न चाँद को कोई जल चढ़ाता..
न कोई तकता उसे रात भर
न चाँद कभी आहें भरता..
न चाँद को ज्वार आते 
न भाव के सागर उमड़ते..
जो चाँद न होता तो
कुछ भी न होता..




#शरद_पूर्णिमा

~अक्षिणी

बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

चाहों को किनारे रखिए..

ज़िंदगी बोझ न हो जाए,
चाहों को किनारे रखिए..
जज़्ब-ए-ज़ीस्त जरूरी है,
आहों के सहारे रखिए..

तकदीर के मोहताज हैं,
ख़्वाबों को कुँवारे रखिए..
वक़्त के अंदाज़ अजब,
खुशियों के भुलावे रखिए..

तमाशबीन है ये दुनिया
दरोदीवार बुहारे रखिए..
चेहरों पे चेहरे हैं बहुत,
आईनों को छुपाए रखिए..

~अक्षिणी

मंगलवार, 3 अक्तूबर 2023

Friends forever..!

Mightier than the mights
Rightier than the rights 
They are there as the leading lights

Since the time unknown
Of the young and the grown
For the beauty and the beast
For the pretty and the priest
Of the kings and the crowns
For the yellow and the browns

Books..
my dear friends are friends forever..
Of the sails and the trails
Of the frays and the frails
For the fast and the furious
For quiet and the curious
For the rich and scarce
For the fake and the farce
Free as they fly
Subtle as the sly
Books..
My friends are friends forever..!

~Akshini

सोमवार, 2 अक्तूबर 2023

दो अक्टूबर..

दो अक्टूबर का दिन है महान,
जय जवान जय किसान..


भारत माँ के दो पुत्र महान..
भारत की गर्वी संतान..

गाँधी जी थे सच्चे ईंसान, 
सत्य-अहिंसा का ज्ञान..
शास्त्री जी थे कर्मयोगी,
सादा जीवन थी पहचान..

दो अक्टूबर का दिन है महान
जय जवान जय किसान..

कदम-कदम पर हत्यारे थे..
कदम-कदम पर अँधियारे..
जान हथेली पर रख कर..
दोनों ने भारत की लाज बचाई..

दो अक्टूबर का दिन है महान
जय जवान जय किसान..

अँग्रेज़ी सत्ता का दर्पी शीश झुकाया,
भारत को नयी राह चलाया..

स्वाभिमान की अलख जगाई..
भारत को सच्ची राह दिखाई..

दो अक्टूबर का दिन है महान
जय जवान जय किसान..


आज नया हम प्रण कर जाएँ
सत्य अहिंसा को अपनाएँ..
भारत में फिर विश्वास जगाएँ..
स्वदेशी को हम अपनाएँ..
भारत का हो फिर नव निर्माण.

दो अक्टूबर का दिन है महान
जय जवान जय किसान..
जय विज्ञान, जय अनुसंधान..
जय जय भारत देश महान..

~अक्षिणी

बुधवार, 27 सितंबर 2023

#उज्जैन..

कुछ नहीं कहना है!
कुछ नहीं करना है!
संज्ञाहीन,संज्ञाशून्य हैं हम..
घृणा भी नहीं उपजती नपुंसक नरपुंसकों पर
संवेदनाहीन,तथाकथित नरपुंगवों पर
मृत संवेदनों का समाज,
शिक्षा कोढ़ में खाज
मिथ्या का जोश, 24घंटों का शोर..
खोखली वीरता के सोशल-मीडिया वीर..
बोलबाल के चुप,बातों के शेर..
सभ्यता के चीथड़े,लाशों के ढेर..
~अक्षिणी

गुरुवार, 7 सितंबर 2023

कान्हा कैसा मोह लगाया..?

कान्हा कैसा राच रचाया, सारे जग को जोर नचाया..
यूँ कर्मन के बाँध के घुँघरू, थिरक रहा जग तेरी माया..

कान्हा कैसा मोह लगाया,राजा-रंक सब तेरी छाया..
मोहन मुरली की तान सुना कर, सारा जग तूने भरमाया..

कान्हा कैसा रस बरसाया, छलकी गगरी भीगी काया,
बंसी को यूँ अधर लगा कर, राग ये प्रेम का ऐसा गाया..

कान्हा कैसी धुन तू लाया, कँकर-पत्थर बाँध तू पाया..
गोकुल-बृज को मोहा तूने, सारे जग को दास बनाया..

मीरा नाची, राधा नाची, रुक्मणि को भी रंग लगाया..
छोड़ के जग के बँधन सारे,कृष्णा तू वीतरागी कहलाया.. 

~अक्षिणी

रविवार, 23 जुलाई 2023

गौरव गान..

निज थाति पर मान बहुत
निजकर्मन का भान कहाँ
माँ-माटी का गान बहुत
माँ-बेटी का ध्यान कहाँ?

भारत का गौरव गान तभी
माँ-बहनों का जब मान रहे
कोरे शब्दों-गीतों से कैसे
भारत माँ का अभिमान रहे?

राष्ट्र प्रथम के स्वर गुंजित
राष्ट्रचरित की पहचान कहाँ
मदांध जब निज हित साधन
देशराग-ओ गौरवगान कहाँ?

~अक्षिणी

शुक्रवार, 14 जुलाई 2023

पानी..

मर जाता है आँख का पानी,
पलटता है हर कोस पर पानी..
पिया करते हैं लोग घाट-घाट का पानी,
पचता नहीं भाँत-भाँत का पानी..
बोलता है सर चढ़ कर,छलकता है पानी,
अपनी पर आए तो लील जाता है पानी..
कटता है,बँटता है खेत- खलिहान का पानी,
पानी की जात क्या पर जाता नहीं जात का पानी..

ठहरता नहीं उतर ही जाता है नयी बरसात का पानी,
साँस लेता है अभी मुझमें गाँव-देहात का पानी..


*जात~प्रकार

शुक्रवार, 23 जून 2023

मत पूछना..

कांग्रेस से कोई सवाल मत पूछना
नोंच लेंगे अपने ही बाल मत पूछना
उधड़ेगी बाल की खाल मत पूछना
कैसे लुटा देश सत्तर साल मत पूछना
एमरजेंसी का बवाल मत पूछना
बोफोर्स और अगस्ता की चाल मत पूछना
भगा दिए एंडरसन लाल मत पूछना
उड़ा दिए हैं देश का गुलाल मत पूछना
किसने लूटा देश का माल मत पूछना..!
कांग्रेस से कोई सवाल मत पूछना
माँ-बेटे के गुलामों का हाल मत पूछना
गाँधी नाम की नकली ढाल मत पूछना
देश को समझा बाप का माल मत पूछना
सरकारी बँगलों का जलाल मत पूछना
कहाँ गया वतन का लाल मत पूछना
कौन पटेल,लाल-बाल-पाल मत पूछना
भिनभिनाती सत्ता की राल मत पूछना
और चमचों का मलाल मत पूछना..
कांग्रेस से अब कोई सवाल मत पूछना..

बुधवार, 21 जून 2023

रोक लो शहर को..

देख के धूप को छाँव के रंग मचल जाएंगे..
रोक लो शहर को गाँव के ढंग बदल जाएंंगे..

शाम खो जाएगी, बाग खो जाएंगे,
पंछियों के नीड़ उजड़ जाएंंगे..

बाड़ खा जाएगी, बाढ़ आ जाएगी,
ड्योढ़ियों के रुख उखड़ जाएंंगे..

रोक लो शहर को, गाँव के ढंग बदल जाएंगे..

चौके बँट जाएंगे, चूल्हे पट जाएंंगे,
दूध घी खीर में मठ्ठे पड़ जाएंगे..

मेले खो जाएंगे, रोले पड़ जाएंगे,
बात-बे-बात लठ्ठे लड़ जाएंंगे..

रोक लो शहर को गाँव के ढंग बदल जाएंंगे..

बेटे चुक जाएंगे, बेटियाँ लुट जाएंगी,
भाई-बंधी के नाज में घुन पड़ जाएंंगे..

साँस घुट जाएगी, आस मर जाएगी,
चाह की राह में काँटे उग आएंगे..

रोक लो शहर को गाँव के ढंग बदल जाएंंगे..
🙏

~अक्षिणी

मंगलवार, 20 जून 2023

रथयात्रा.. कल्याण जग का कीजिए..

देखिए जग नाथ आज और
आशीष सबको दीजिए.. 
दीजिए आतिथ्य अभिसार,
कल्याण जग का कीजिए..

करबद्ध ये विनती नाथ, अब दरस दीनन को दीजिए..
लीजिए हर संताप जग का,और
रमण जग में कीजिए..

हे जगत के नाथ आज बस अरज इतनी सुन लीजिए..
कीजिए रथभ्रमण आज और
चरण-शरण मन लीजिए..

🙏
#रथयात्रा2023

चाह कहें..

कभी आह कहें 
कभी वाह कहें,
मन की तुमसे हर चाह कहें..

उच्छाह कहें,
परवाह कहें,
मन की तुमसे सरे राह कहें..

~शिकंजी

बेकसी..

इंतिहा न कीजे,
न प्यार की न खार की..
दर्द से है भरी,
बेकसी इंतज़ार की..

~शिकंजी



शनिवार, 17 जून 2023

हरि हर हर हर महादेव..

कुछ तो है जो तुझको-मुझको, सारे जग को साधे है,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो हरि हर हर हर महादेव..
जिसने धरती-सूरज-चँदा तारे-अंबर बाँधे हैं,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो
हरि हर हर हर महादेव..
कोई तो है जो सब उपजाए, बाली में दाने डाले है,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो हरि हर हर हर महादेव..
जब जी चाहे धूप खिलाए,बूँदों में छम-छम नाचे है,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो
हरि हर हर हर महादेव..

कोई तो है जो माटी गूँधे, माटी में जीवन डाले है,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो हरि हर हर हर महादेव..
कोई है जो गहे हलाहल, विष अमृत कर जावे है,
कहो राम उसे कहो कृष्ण कहो
हरि हर हर हर महादेव..

~अक्षिणी

शुक्रवार, 26 मई 2023

विनय..

आँधियों के झोंकें
बारिशों के थपेड़े..
करते रहे आजमाइश..
लगाते रहे जोर-बखेड़े..

क्यारियाँ धराशायी हुईं,
कुछ देर को बजे सन्नाटे
छमकती रही बारिशें,
चलते रहे हवाओं के फन्नाटे
कब तक चलता..?
रुकना था।

फिर आकाश छँटा,
सुरज मुस्काया..
जो झुके थे सो 
फिर तन गए
अड़े-खड़े थे
सो माटी हुए..

~अक्षिणी

सोमवार, 22 मई 2023

न वो झुके न हम झुके..

यूँ द्वार को तका किए,
हम द्वार पर रुके-रुके..
उस पार वो इस पार मैं,
न वो झुके न हम झुके..

हर ज्वार को छला किए,
हम ज्वार पर झुके-झुके..
उस पार वो इस पार मैं,
न वो रुके न हम रुके..

यूँ चाँद को सजा दिए,
हम रात भर जगे-जगे..
उस पार वो इस पार हम,
न वो थके न हम थके..

हर हाल में जिया किए,
यूँ उम्र भर खरे-खरे..
उस पार वो इस पार हम,
न वो चले न हम चले..
 

~अक्षिणी


शुक्रवार, 12 मई 2023

अपने दुख की गाने वालो..

अपने दुख की गाने वालो
जग के दुख पर दृष्टि डालो

किस पर कैसी बीत रही
किस की गठरी रीत रही
काल तिमिर का कटता कैसे
साथ मिहिर का छूटा जब से

झूठ के आँसू रोने वालो
सच का दुख तुम ना जानो

कितने आँगन भूख खड़ी
कितने चूल्हे धूल पड़ी
हर घर देखो मौत खड़ी
आँगन-आँगन आग लगी

अर्थी अपनी ढोने वालो
झुकते काँधे,हार न मानो..

~अक्षिणी

सोमवार, 24 अप्रैल 2023

ओ आदमी रो जीव..

चारि-मेरां गोल घूमे रे देखो 
ओ आदमी रो जीव..
थारी-मारी खूब करे रे देखो
ओ आदमी रो जीव..
आँटा-साँटा न्याव करे रे देखो
ओ आदमी रो जीव..
दाणा खातर दौड़ फरे रे देखो 
ओ आदमी रो जीव..
करमा-धरमा ब्याज भरे रे देखो
ओ आदमी रो जीव..
मगरां-जगरां कूद पड़े रे देखो
ओ आदमी रो जीव..
नाच्यो-नाच्यो जोर फरे रे देखो
ओ आदमी रो जीव..
किनख्यां-मिनख्यां भाग छूटे रे देखो
ओ आदमी जीव..

~अक्षिणी

शनिवार, 22 अप्रैल 2023

तेरी मेरी कहानी..

ये तेरी-मेरी कहानी,
वादे-वफा, वस्ल-ओ-दीदार,
फुरकत कभी फितरत,
अदावत या कि ज़ुर्रत..
जो भी है..
ताकयामत मुहब्बत की कहानी..
मेरी-तेरी जुबानी..

~अक्षिणी

यूँ सवालों में..

यूँ सवालों में कट रही है,
ये जवाबों से हैरान ज़िंदगी..
किश्तों में गुजर रही है,
हिसाबों से बेजु़बान ज़िंदगी..

ख़यालों में खो गई है कहीं,
ख़्वाबों से पशेमान ज़िंदगी..
यूँ ख़ारों को जी रही है,
गुलाबों से लहुलुहान ज़िंदगी..

कितने हिस्सों में बँट गई है,
हो के समझदार ज़िंदगी..
किस्सों-किस्सों में जी रहे हैं,
हो के यूँ मेहरबान ज़िंदगी..

कि हवालों में बिक रही है,
तकाज़ों से परेशान ज़िंदगी..
तेरे शानों पे मिल गई है,
कि ज़मीं को आसमान ज़िंदगी..

~अक्षिणी


रविवार, 16 अप्रैल 2023

उड़ चलो..

काँटों पर भरें आह क्या?
मुश्किलों की परवाह क्यों?
फैसलों पे हौसले हो,
हौसलों पे विश्वास तो..
तोड़ दो बेड़ियाँ,
खोल दो पाँखें तुम..
मोड़ दो रुख हवाओं के..
कर लो आसमां मुठ्ठी में..
करो इरादे बुलंद..
उठो..उड़ चलो..

~अक्षिणी

सोमवार, 3 अप्रैल 2023

दाता राम..

दाना राम उगाने वाला 
दाना राम खिलाने वाला
अपने हाथ न एक निवाला..

नाता राम निभाने वाला
दाता राम मिटाने वाला
अपने बस में पानी न धारा..

दाता राम छिपाने वाला
दाता राम दिखाने वाला
अपने हाथ न कोई उजाला..

दाता राम उठाने वाला
दाता राम गिराने वाला
अपने हाथ है चलते जाना..

राम राम सा..🙏

बुधवार, 8 मार्च 2023

जाने कहाँ जा रहीं हैं औरतें..

सुट्टा मार कर धुआँ उड़ा रहीं हैं औरतें..
ठेकों और ठियों पर जिस-तिस को गरिया रहीं हैं औरतें..
कहने को पढ़ रहीं हैं, बढ़ रहीं हैं
जाने क्या करना चाह रहीं हैं औरतें?
अड़ रहीं हैं,लड़ रहीं हैं,
ओढ़ कर मुस्कान झूठी,
जाने कहाँ जा रहीं हैं औरतें?
बराबरी के नाम स्वयं को 
छले जा रहीं हैं औरतें,
जाने क्यों पुरुष बन 
जीना चाह रहीं हैं औरतें..

~अक्षिणी

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

मन की सोच..

मन की सोच, मन पर बोझ..
मन का खोट, मन पर चोट..
मन की भूल, मन का शूल..
मन की टोह, मन का मोह..
मन की मार, मन पर भार..
मन की डोर, कुछ ना छोर..
मन की दौड़, मन का तोड़..
मन के मोर, मन चितचोर..
मन के तार, मन संसार..
मन का मैल,मन का खेल..
मन के रेले, मन के मेले..

~अक्षिणी

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

प्रेम..

प्रेम एक भाव घन, 
प्रेम से संसार सब..

प्रेम एक छांव कोई,
प्रेम एक ठांव कोई..

प्रेम बाँधे नेह को, 
प्रेम साधे देह को..

प्रेम भक्ति, प्रेम पूजा, 
प्रेम शक्ति, प्रेम ऊँचा..

प्रेम दर्पण, प्रेम दर्शन,
प्रेम अर्पण, प्रेम तर्पण..

प्रेम मृत्यु, प्रेम जीवन,
प्रेम नहीं कोई प्रदर्शन..

प्रेम सब दिन, 
       प्रेम निस दिन..!

~अक्षिणी

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

फसाने कितने..

रोज बुनने हैं फसाने अपने..
भूल जाने हैं तराने कितने..
इक तेरे नाम पे कायम है दुनिया अपनी,
वरना लुट जाने हैं ठिकाने अपने..

चार आँसू हैं बहाने अपने..
लौट आने के बहाने अपने..
कुछ तो बात है ज़िंदगी में यारा
बीत जाएंगे जमाने अपने..

~अक्षिणी

गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

अनुवाद..

मूर्तियों के ताप से धूसरित भस्मित करोड़ों योद्धा यवन..

ये मृत्यु के दूत हमें क्या डराएंगे ! 

जिस भारत की पूण्य धूलि से
उठते हैं ये मूर्तन,

उसी धूलि में प्रियवर, ये भी धुसरित हो जाएंगे !!

अक्षिणी

🙏

रविवार, 29 जनवरी 2023

छंद बनें..

जब अंतस में हूक उठे तो
छंद बनें,
मन की कोयल कूक उठे तो
बंद बनें..

जब मानस में आग लगे हर
बोल जरे,
जब ढाढ़स की लाम लगे सब
तोल खरे..

आँखों में रक्त उतर आए तो
गीत बनें,
साँसों का राग उलझ जाए तो
संगीत बनें..

गीत बने जनगीत तभी,
जब लहू पुकारे गाते जाएँ..
अस्थियों का वज्र बने फिर 
निज मज्जा का दीप जलाएँ..

~अक्षिणी

सोमवार, 2 जनवरी 2023

ताख पे रखी हुई बातें..

वो अलगनी पे टंगी-टंगी सी  रातें
भूली सी, ताख पे रखी हुई बातें..
अपनी हैं..पराई भी..

ठहरी हुई इक हिमनदी सी
वो आधी सी,अधूरी सी मुलाकातें..
कच्ची है, सगाई भी..

मेरी साँसों में शामिल तेरी आहटों की खुशबू,
न मिलकर भी मिलने की सी ज़ुस्तज़ू..
अपनी है, तन्हाई भी..

#बातें
*सगाई-पकी हुई

~अक्षिणी