शिकंजी उदयपुरी..
शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023
फसाने कितने..
रोज बुनने हैं फसाने अपने..
भूल जाने हैं तराने कितने..
इक तेरे नाम पे कायम है दुनिया अपनी,
वरना लुट जाने हैं ठिकाने अपने..
चार आँसू हैं बहाने अपने..
लौट आने के बहाने अपने..
कुछ तो बात है ज़िंदगी में यारा
बीत जाएंगे जमाने अपने..
~अक्षिणी
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