गुरुवार, 28 सितंबर 2017

काश..

संग तेरे संग से ढल जाते तो
जमाने कई होते,
हम तेरे रंग में रंग जाते तो
फसाने कई होते..

अक्षिणी ..

बुधवार, 13 सितंबर 2017

मेरी बोली..

चाहों को ये स्वर दे ऐसे,
मनोभावों को वर ले जैसे..

बोलों को ये वाणी कर दे,
भीगी आँख से पानी हर ले..

सपनों में ये रंग भरे और,
वचनों से ये दंग करे यूं..

हर भाषा को अपनाए ऐसे,
सखियों संग इठलाए जैसे..

हिन्द का गौरव गान है हिन्दी,
हर हिन्दी का अभिमान है हिन्दी..

#हिन्दी_दिवस

गुरुवार, 7 सितंबर 2017

दीवारों के कान..

सच है कि दीवारों के कान हुआ करते हैं,
जो सुन सुन कर हलकान हुआ करते हैं..

दीवारों के कान बड़े बेईमान हुआ करते हैं,
सबसे ज्यादा ये परेशान हुआ करते हैं..

दीवारों के कान कितने हैरान हुआ करते हैं,
झूठी-सच्ची लगा कर सम्मान लिया करते हैं..

दीवारों के ये कान..
ना कभी किसी पे मेहरबान हुआ करते हैं,
इनके न कभी कोई भगवान हुआ करते हैं..

दीवारों के कान
बेचारे कितने नादान हुआ करते हैं,
सबसे पहले यही कुर्बान हुआ करते हैं..

अक्षिणी