शिकंजी उदयपुरी..
गुरुवार, 28 सितंबर 2017
काश..
संग तेरे संग से ढल जाते तो
जमाने कई होते,
हम तेरे रंग में रंग जाते तो
फसाने कई होते..
अक्षिणी ..
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें