शुक्रवार, 21 मई 2021

शब्द-शब्द..

शब्द-शब्द अश्रु से,
बह रहे ज्यों नैत्र से..
शब्द-शब्द गीत से,
लड़ रहे ज्यों पीर से..
शब्द-शब्द दग्ध से,
जल रहे ज्यों कष्ट से..
शब्द-शब्द तिक्त से,
तर बहे ज्यों रक्त से..
शब्द-शब्द याद के,
कह रहे ज्यों हार के..
शब्द-शब्द पुष्प से,
झर रहे ज्यों प्राण से..

🙏

शनिवार, 15 मई 2021

सुनो ईश्वर..

सुनो..
तुम्हारे होने पर विश्वास है मुझे,
संकेत दो कि तुम सुन रहे हो..
झंकृत कर सब तार आस्था के,
कुछ तो कहो,क्या बुन रहे हो..

सुनो..

सबदरसी हो कर समदृष्टि में
विकट विषम दृश्य लिख रहे हो..
आहत मन और आर्द्र दृगों में,
काल भयंकर देव दिख रहे हो..

~अक्षिणी

गुरुवार, 13 मई 2021

बहलाया जाए..

सुना-सुना सा कुछ फिर इक बार सुनाया जाए..
फिर इक बार यूँ महफिल में रंग जमाया जाए..

हालात का मातम सरे आम न यूँ मनाया जाए..
फकत दिल ही तो है, किसी तौर लगाया जाए..

वक्त के जख़्मों को न यूँ बेवजह जगाया जाए..
हालात बदलें न बदलें,उम्मीद से बहलाया जाए..

इलजाम ये मोहबत का किसी पर न लगाया जाए..
मुमकिन नहीं कि हर इक शै को आजमाया जाए..

ज़िंदगी नज़्म ही सही, गज़ल इसे बनाया जाए..
रदीफ नहीं, न सही, काफ़िया तो मिलाया जाए..

~अक्षिणी