सुनो..
तुम्हारे होने पर विश्वास है मुझे,
संकेत दो कि तुम सुन रहे हो..
झंकृत कर सब तार आस्था के,
कुछ तो कहो,क्या बुन रहे हो..
सुनो..
सबदरसी हो कर समदृष्टि में
विकट विषम दृश्य लिख रहे हो..
आहत मन और आर्द्र दृगों में,
काल भयंकर देव दिख रहे हो..
~अक्षिणी
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