एक बार फिर
खुली बाहें
अधरों पर मुस्कान लिए
आलिंगन को आतुर
राहों में पलकें बिछाए
स्वागत को पुष्पहार लिए
आत्ममोहित रूपगर्विता
निर्लज्ज खड़ी है
देशद्रोहियों के लिए
आरती का थाल लिए
येन केन प्रकारेण
सत्ता सिद्धि को लालायित
साँझ की वेला में
मरणासन्न कांग्रेस ।
अक्षिणी
खुली बाहें
अधरों पर मुस्कान लिए
आलिंगन को आतुर
राहों में पलकें बिछाए
स्वागत को पुष्पहार लिए
आत्ममोहित रूपगर्विता
निर्लज्ज खड़ी है
देशद्रोहियों के लिए
आरती का थाल लिए
येन केन प्रकारेण
सत्ता सिद्धि को लालायित
साँझ की वेला में
मरणासन्न कांग्रेस ।
अक्षिणी