हे राम तुम्हें फिर आना होगा,
नव संकल्प उठाना होगा..
नव संकल्प उठाना होगा..
यह कलयुग भी दायित्व तुम्हारा है,
इसको भी पार लगाना होगा..
इसको भी पार लगाना होगा..
देखो कितने रावण उग आए हैं,
दानव के वंशज मानव बन आए हैं..
दानव के वंशज मानव बन आए हैं..
नई सीता को अपनाना होगा,
हे राम तुम्हें फिर आना होगा..
हे राम तुम्हें फिर आना होगा..
देखो कितनी आँखें सूनी हैं
कैकेयी की मंथरा से संधि है
कौशल्या को धीर बँधाना होगा..
हे राम तुम्हें फिर आना होगा..
कितने केवट व्याकुल हैं..
कितनी प्रतीक्षाएँ पत्थर है?
सबका भार उठाना होगा
हे राम तुम्हें फिर आना होगा..
~अक्षिणी
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