आत्मसम्मान न हो तो कोई क्रान्ति नहीं होती,
मरघट की शान्ति कभी शान्ति नहीं होती..
घिरे हुए सिंह का आर्तनाद सुन काँपते हैं प्राण मित्र,
ठहरो जरा, होने को है आतताइयों का त्राण शीघ्र ..
अक्षिणी
मरघट की शान्ति कभी शान्ति नहीं होती..
घिरे हुए सिंह का आर्तनाद सुन काँपते हैं प्राण मित्र,
ठहरो जरा, होने को है आतताइयों का त्राण शीघ्र ..
अक्षिणी
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