शुक्रवार, 26 मई 2023

विनय..

आँधियों के झोंकें
बारिशों के थपेड़े..
करते रहे आजमाइश..
लगाते रहे जोर-बखेड़े..

क्यारियाँ धराशायी हुईं,
कुछ देर को बजे सन्नाटे
छमकती रही बारिशें,
चलते रहे हवाओं के फन्नाटे
कब तक चलता..?
रुकना था।

फिर आकाश छँटा,
सुरज मुस्काया..
जो झुके थे सो 
फिर तन गए
अड़े-खड़े थे
सो माटी हुए..

~अक्षिणी

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