सोमवार, 22 मई 2023

न वो झुके न हम झुके..

यूँ द्वार को तका किए,
हम द्वार पर रुके-रुके..
उस पार वो इस पार मैं,
न वो झुके न हम झुके..

हर ज्वार को छला किए,
हम ज्वार पर झुके-झुके..
उस पार वो इस पार मैं,
न वो रुके न हम रुके..

यूँ चाँद को सजा दिए,
हम रात भर जगे-जगे..
उस पार वो इस पार हम,
न वो थके न हम थके..

हर हाल में जिया किए,
यूँ उम्र भर खरे-खरे..
उस पार वो इस पार हम,
न वो चले न हम चले..
 

~अक्षिणी


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