शुक्रवार, 12 मई 2023

अपने दुख की गाने वालो..

अपने दुख की गाने वालो
जग के दुख पर दृष्टि डालो

किस पर कैसी बीत रही
किस की गठरी रीत रही
काल तिमिर का कटता कैसे
साथ मिहिर का छूटा जब से

झूठ के आँसू रोने वालो
सच का दुख तुम ना जानो

कितने आँगन भूख खड़ी
कितने चूल्हे धूल पड़ी
हर घर देखो मौत खड़ी
आँगन-आँगन आग लगी

अर्थी अपनी ढोने वालो
झुकते काँधे,हार न मानो..

~अक्षिणी

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