बुधवार, 4 अक्टूबर 2023

चाहों को किनारे रखिए..

ज़िंदगी बोझ न हो जाए,
चाहों को किनारे रखिए..
जज़्ब-ए-ज़ीस्त जरूरी है,
आहों के सहारे रखिए..

तकदीर के मोहताज हैं,
ख़्वाबों को कुँवारे रखिए..
वक़्त के अंदाज़ अजब,
खुशियों के भुलावे रखिए..

तमाशबीन है ये दुनिया
दरोदीवार बुहारे रखिए..
चेहरों पे चेहरे हैं बहुत,
आईनों को छुपाए रखिए..

~अक्षिणी

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