यूँ सवालों में कट रही है,
ये जवाबों से हैरान ज़िंदगी..
किश्तों में गुजर रही है,
हिसाबों से बेजु़बान ज़िंदगी..
ख़यालों में खो गई है कहीं,
ख़्वाबों से पशेमान ज़िंदगी..
यूँ ख़ारों को जी रही है,
गुलाबों से लहुलुहान ज़िंदगी..
कितने हिस्सों में बँट गई है,
हो के समझदार ज़िंदगी..
किस्सों-किस्सों में जी रहे हैं,
हो के यूँ मेहरबान ज़िंदगी..
कि हवालों में बिक रही है,
तकाज़ों से परेशान ज़िंदगी..
तेरे शानों पे मिल गई है,
कि ज़मीं को आसमान ज़िंदगी..
~अक्षिणी
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