बुधवार, 20 जून 2018

साथ..

सुख और दुख का साथ सनातन
 दुख के बिना सुख आधा-अधूरा
 
 कांटों संग है फूल का जीवन,
 बिन कांटे कहाँ उपवन पूरा

साथ चले हैं रात और दिन
रात नहीं तो दिन बंजारा

हँसना रोना साथ चले है ,
आँसू बिना मुस्कान खिले ना

धूप और छांव का मेल है जीवन
धूप नहीं तो छांव बैरागन..

अक्षिणी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें