शनिवार, 23 जून 2018

ट्विटर के दोहे..

फेसबुक से वाट्सएप को,
वाट्सएप से ट्विटर को आए
ट्विटर से भी बोर हुए,
अब "शिकंजी" कहाँ जाए..

ट्विटर खेलन मैं चली,
अकाउंट लियो बनाय
बार बार के ट्विटते,
"शिकंजी" गई बौराय

ट्विटर ट्विटर मैं करूँ,
अंगुली गई थकाय,
ट्विटत ट्विटत ओ "शिकंजी",
दिमाग दही होई जाय..

आरटी आरटी सब करे,
आरटी मिले न मोय,
लाईक लाईक देख "शिकंजी",
मनवा मोरा रोय..

कोई ट्विट तो यूँ चले,
चार आरटी होय जाए.
इशक विशक की शायरी,
"शिकंजी" को जरा ना आए ..

ट्विटर की महिमा का कहें,
सब कुछ दियो पढ़ाय.
गाली जानत ना "शिकंजी",
ट्विटर दीन्ह सिखाय..

आरटी ढूंढन मैं चली,
आरटी मिले न हाय,
लाईक लाईक के फेर में,
"शिकंजी",ट्विट अकारथ जाए.

देर रात तक ट्विटर चले,
उल्लू बन ट्विटियाए..
नहाय धोय के हाय "शिकंजी",
ट्विटर पर डट जाए..

अक्षिणी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें