शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

बरसात..

बावली बरसात ज्यों, 
भूली हुई कोई याद ज्यों..
मुझसे मिली वो रात यों, 
सीली-सीली कोई बात ज्यों..


बरसात की रातें हैं, बातें मुलाकाते है,
यादों की नगरी में सौंधी-भीगी बरसाते है..

बरसात की रातें है 
बातें है और मुलाकातें है 
कविता करे या शायरी,
बेईमानी के इरादे हैं..



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