तुझ से शिकवा नहीं,न शिकायत कोई, तू जो चाहे तो बियाबां को समंदर कर दे.. तुझ से गिला है न तुझ पे तोहमत कोई, तेरी मर्ज़ी है,तू फकीरों को सिकंदर कर दे..
-अक्षिणी
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