कड़वी नीम निंबोरी को, मीठी आम अमोरी को, चख पाएं तो कह पाएं.. और कविता बन जाए..
गहरी रात अंधेरी हो, डसती पीर घनेरी हो, सह पाएं तो कह पाएं.. और कविता बन जाए..
अक्षिणी..
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