अंदाज़े-बयां कुछ ऐसा हो,
लफ़्ज़ों से मुहब्बत हो जाए.
हम कह भी सकें वो सुन भी सकें,
और दूर शिकायत हो जाए..
लब खोल भी दें रस घोल भी दें,
मीठी-सी शरारत हो जाए..
हम बोल भी लें वो तोल भी लें,
बातों में बगावत हो जाए..
कुछ हार भी लें कुछ जीत भी लें,
रिश्तों की हिफाजत हो जाए..
-अक्षिणी
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