या ख़ुदाया, मेरे हिंद में आज फिर ईद हो जाए.. शीर फिरनी न सही , दाने तो मुफ़ीद हो जाएं ..
वो जो समझें तो मुहब्बत के मुरीद हो जाएं, जो न समझें तो हिसाबों की रसीद हो जाए..
अक्षिणी
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