शिकंजी उदयपुरी..
मंगलवार, 20 जून 2017
परवाह क्या..
जो चाह हो तो राह क्या,
और राह हो तो चाह क्या.
धुप से बाँधे जो बंधन,
सायों की परवाह क्या..
अक्षिणी
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