तेरे नाम को हवाओं से सुना बरसों, तेरे चेहरे को पानी पे उकेरा बरसों. चार लम्हों के ज़हर को लाख कतरों में पिया है , चंद यादों के सफर को स्याह अंधेरों में जिया है.
-अक्षिणी
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