ये अलसाई सुबह ,ये बरखा का मौसम,
ये हल्की सी रिमझिम,ये बूंदों की सरगम,
लो गहराया बादल, वो लहराया सावन..
वो भीगी सी रातें,वो सावन की यादें,
वो उलझी सी बातें ,वो आवन के वादे,
यूं पलकों पे ठहरी वो भीनी सी शबनम..
ये बरखा का मौसम,ये बूंदों की सरगम..
वो ठहरा सा सावन,वो महका सा तन मन,
वो थिरका सा नर्तन, वो बूंदों की चिलमन..
वो बरसा यूं बादल,जो बहका वो आंचल...
ये बरखा का मौसम, ये बूंदों की सरगम..
अक्षिणी
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