मुफ्त नहीं हैं आज़ाद हिन्द की आज़ाद हवाएं
सनद रहे..
अधिकारों के साथ कर्त्तव्य ना हम भूल जाएं,
सनद रहे..
ये आज़ादी मुफ्तख़ोरों के लिए नही हैं,
सनद रहे..
ये आज़ादी किसी एक धर्म या सम्प्रदाय की नहीं है,
सनद रहे.
ये आज़ादी हमारी कम और आने वाले पीढ़ियों की ज्यादा है,
सनद रहे..
दहलीज पे आज भी राह तकती हैं जो निगाहें,
आने की कह वो लौट ना पाए..
सनद रहे..
फूल मस्तक के शहीदों ने चढ़ाए,
तब कहीं हम आज़ाद हो पाए..
सनद रहे..
अक्षिणी
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