खुशियां मनाएं..
प्रशस्ति तो बनती ही है..
आजादी का खूब उठाया आपने लाभ,
देशद्रोहियों से खूब मिलाया आपने हाथ..
शीर चाय पे कर आए उनसे मुलाकात,
हुर्रियत के हुर्रों से कर आए दिल की बात..
कृपया बताएं..
एक जांच तो बनती ही है..
ये विचार कहाँ से आया,
आपने अपना ख़ब्ती दिमाग लगाया?
या था सोनिया माई ने सुझाया,
आपके कंधों पे रख तीर चलाया..?
और बताएं..
प्रश्न अभी बाकी हैं..
किस हैसियत से की ये अदावत..?
जवान नहीं भूलेगें ये हिमाकत..
आखिर क्यों भूल गए लहू की कीमत,
क्योंकर कर गए ऐसी जुर्रत..?
आगे बताएं..
मज़े की बात है..
मोदी को हटाने की गुहार,
गलत जगह लगा आए हैं जनाब..
बुढ़ौती में मिट्टी फांक आए आप..
देश की जनता जम के लेगी हिसाब..
ज़रा सोचिए..
सच यही है..
सब का उड़ाते आए मज़ाक,
शिक्षा के मंदिरों पे लगाए कई दाग..
घमंड ने कई बार चटाई ख़ाक..
ये हो गया गलत आख़री दाँव..
पचहत्तर के पार,बूढ़ा गए हैं आप..
अब घर बैठिए जनाब..
अक्षिणी भटनागर
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