गुरुवार, 11 मई 2017

शर्मिंदा..

धन्यवाद महोदया,
आपने ये माना कि आप शर्मिंदा हैं,
होना भी चाहिए..

बात शर्मिंदगी की है,
दूर तलक तो जानी है.
आप जन्म ले कर शर्मिंदा हैं और
ये धरती आप को जन्म देकर शर्मिंदा है..

मौलवियों के मशवरों पर चलें आप,
और वतन ढोए आप के पाप..
फिर शर्मिंदा भी हों आप..
ये कहाँ का इंसाफ?

सच तो ये है कि हम शर्मिंदा हैं,
कि आप से रीढ़विहीन हमारे नेता हैं,
सुभाष का बंगाल शर्मिंदा हैं..
क्रांति के आह्वान शर्मिंदा हैं,
भूत, भविष्य, वर्तमान शर्मिंदा है..

आप की ज्यादतियों पर
बंगाल का हर जवान शर्मिंदा हैं..
आप के आचार विचार पर
देश का संविधान शर्मिंदा है..

आप क्यों हैं शर्मिंदा ?
आपको भारतीय कहने वाला
विधान शर्मिंदा है,
आपको चुना,
पूरा पश्चिम बंगाल शर्मिंदा है..

अक्षिणी भटनागर

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