तदबीरों से अरमान सँवरते देखे हैं, तकरीरों से अल्फाज़ सुलगते देखे हैं, तकदीरें बदले जो पहलू तो तस्वीरों के अंदाज़ बदलते देखे हैं.
अक्षिणी भटनागर
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