हाथी और झाड़ू संवारते रहे अपने अरमां, पप्पु और टीपू जलाते रहे अपनी शम्मा,
उधर नाची ऐसी वो छम्मा-छम्मा और चिनम्मा बन गई नयी अम्मा
पनीर सेल्वम् निकले उसके भी अब्बा, लो अब कर लो तुम तम्मा-तम्मा..
-अक्षिणी भटनागर-
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें