सब स्वरों में ओम तुम हो, नश्वरों में प्राण तुम.
ज्योति का आह्वान तुमसे, हो सकल संसार तुम.
अग्नि का संधान तुमसे, वायु का संचार तुम.
सब ज्ञान-विज्ञान तुम से, सत्य का संज्ञान तुम.
स्वस्ति का समभाव तुमसे, सृष्टि का आधार तुम.
सब स्वप्न हैं साकार तुमसे, हो धरा आकाश तुम.
हैं सभी संस्कार तुमसे, हो सोलहों श्रृंगार तुम.
है ऋणी संसार सारा, श्री शक्ति का सत्कार तुम.
हे ईश्वर जो तुमने दिया है, उसके लिए आभार..
और जो नहीं मिला, वह भी तुम्हें समर्पित..
- अक्षिणी
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