आरंभ तुम से है और अंत तुम,
सब अंत तुमसे और अनंत तुम.
सब जन्म तुम से और मृत्यु तुम,
है काल तुम से, महाकाल तुम.
हो आदि तुम और अनादि तुम,
सब ज्वाल तुम से विकराल तुम.
सब दृश्य तुम से और अदृश्य तुम,
सब हव्य तुम से और यज्ञ तुम.
है सत्य तुमसे और भ्रम भी तुम,
निष्प्राण तुमसे और नवप्राण तुम.
यह कर्म ध्वज तुमको समर्पित,
सब मार्ग तुमसे और लक्ष्य तुम.
सब पुण्य तुमसे,हो कल्याण तुम,
यह विश्व तुम से , सब नाम शिव,
-अक्षिणी
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