रविवार, 29 जनवरी 2017

सुबह

रात जितनी भी बड़ी हो
सुबह उतनी ही हसीं है..
फिर सुबह का गीत गाएं
और तिमिर को भूल जाएं..

-अक्षिणी भटनागर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें