तेरी ख़ामोशी को फलसफा कर दें, ज़ुबा न सही नज़र से बयां कर दें, जमाना इस कदर शातिर है 'इंतिहां,' सरे अक्स तुझे गुमशुदा कर दे..
अक्षिणी भटनागर
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