शनिवार, 28 जनवरी 2017

अगर तुम न होते..

अगर तुम न होते...
साथ रहता है पल छिन
तेरी सुबह का अहसास
अलसाई सी दोपहर और
सुरमई शाम का अंदाज
जी लेते हैं किसी तरह
तेरी उम्मीद में मेरे सरकार
तेरे आने से पहले तेरे जाने के बाद..
ये ज़िंदगी की जद्दोजहद,
सुबह से शाम की कशमकश,
तेरे बगैर मुमकिन नहीं थी मेरे यार
फिर लौट आने पै तेरा शुक्रिया इतवार..
जीते हैं बस इस इतवार से उस इतवार..

अक्षिणी भटनागर

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