मंगलवार, 10 जनवरी 2017

बचपन

जाने कैसे बीता करते थे  दिन,
टीवी और मोबाइल के बिन?
किस तरह गुजरती थी वो दोपहर,
कंचों के सहारे व्हाट्सएप के बिन?
बर्फ के गोलों की चुस्कियां और
खट्टी नारंगी की गोलियां,
सतोलियों के सहारे गुल्लियों के संग
वो डोर से उड़ी पतंग
जाने कैसे बीता करते थे वो दिन .
होली की ठिठोलियां और
दीवाली की रंगोलियां,
छत के तारे गिनती रात और
सहेलियों के साथ..कैसे बीता करते थे वो दिन ?

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