शनिवार, 9 मई 2020

आँख नम..

है आँख नम और शब्द कम,
दग्ध ह्रदय में कितना मातम..
रीती झोली खाली दामन,
चुक गया क्या उसका मरहम..

मरहम का क्या कीजे 
जब न प्राण हम में.. 
क्या हरे संताप जब
ना बचे जान हम में ..


अक्षिणी 

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