शिकंजी उदयपुरी..
रविवार, 10 मई 2020
सपना..
हर आँख का सपना,
पहाड़ों की घाटियों पर,
हो घर अपना..
दूर से दिखती हो,
बल खाई तन्वंगी सी
एक सड़क..
पास से गुजरती एक,
नीली सी एक नदी..
इसी उम्मीद में,
जिया करते हैं रोज..
शहरों की माचिसों,
में रहने वाले लोग..
अक्षिणी
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