शनिवार, 9 मई 2020

शुकर है कि मुगल आए..

मुगल बहुत महान थे। उनके आने से पहले भारत एक सपाट मैदान था जहाँ कीड़े मकोड़े रहा करते थे। कुछ आदिवासी थे जो पत्ते लपेट कर जीते थे।
मुगलों को हम पर दया आई और वे ऊँटों पर लाद कर हिमालय को यहाँ  ले आए।
शेष तो आपको पता ही है कि कैसे खाड़ी से पानी ला कर गंगा जमुना बनाई गईं। 
मुगल अपने रेशमी चोगों में भर कर रेत लाए और उसे गुजरात और राजस्थान में बिखेरा ताकि थार का रेगिस्तान और कच्छ का रन बना..
आभार मानिए वरना क्या था हमारे पुरखों के पास..

मुगलों के आने से पहले भारत के आदिम लोग कोक्रोच और झिंगुर पकड़ कर कच्चा ही खाते थे..मुगल आए तो छकड़ों में लाद कर पेड़ लाए..फिर उन्होंने फूलों और फलों के पौधे लगाए..उन्हीं में से कुछ छकड़ों में वे आग भी लाद कर आए..उन्होंने हमें खाना पकाना सिखाया..

आप विश्वास नहीं करेंगे किंतु यह सत्य है कि मुगलों के आने से पूर्व हम रेंग कर चलते थे और रेंक रेंक कर इशारे से बात करते थे।
मुगलों ने हमें सीधे खड़े हो कर चलना सिखाया।
हम आभारी हैं कि उन्होंने हमें उर्दु भाषा सिखाई जिससे हमने पहले हिन्दी और फिर संस्कृत बनाई..

बेचारे मुगल कितने भले थे..
ईरान से सफेद मार्बल और लाल पत्थर लाए उसे मकराना और धौलपुर की खदानों में रखा..फिर निकाला और उसी से ताजमहल और लाल किला बनवाया वरना हम तो पेड़ों के नीचे रहते थे।

रणकपुर, दिलवाड़ा, उम्मेद भवन सब मुगलों का दिया है..रहीम और रहमान यहाँ आए तभी तो रैदास बने..रामायण और महाभारत भी उनके ही किसी ग्रंथ का अनुवाद होगा..
सुनने में तो यह भी आया है कि मुगलों के लाए बहाए पानी से हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी जैसी छोटी मोटी पोखरियों का इतना विस्तार हुआ..

मुगलों ने उठाई लहरें तो नीलगिरि और शिवालिक अस्तित्व में आए..

मुगलों के आने से पहले हमारे बच्चे और औरतें फालतू मक्खियां मारा करते थे..
मुगलों ने उन्हें अपने हरम में काम दिया..


भला हो मुगलों का जो हम दीन हीन गरीब भारतवासियों की सुध ली वरना हम तो अब तक लकड़ियां ही बीनते रह जाते..
ऋणी हैं हम..

🙏
अक्षिणी 

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