बुधवार, 20 मई 2020

अपराधी..

न राज का भय
ना समाज का भय
ना आत्मा-परमात्मा का भय
न भूत का भय
न भविष्य का भय
न कर्म का न धर्म का भय
आज,आज में लीन
भयहीन पथभ्रष्ट 
निर्लज्ज स्वलीन
आत्ममुग्ध 
आत्मघाती 
मनुष्य 
अपराधी तो है ही..

अक्षिणी 

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