मरुस्थल की बेटियाँ
खेजड़ी सी होती हैं
सीधी सादी बेपरवाह
सब से बेखबर
डटी रहती हैं बारहों मास
निरपेक्ष सहती हैं ताप
और आँधी तुफान
खड़ी रहती हैं सर उठाए
अपनी अस्मिता लिए
कैक्टस के काँटों के बीच
जीवन रेत के अँगारों में
संघर्ष के स्वरों में लीन..
अक्षिणी
पर मरुस्थल की बेटियां,
जवाब देंहटाएंजीवन दायिनी होती है,
मेहनतकश और जुझारू,
बेखबर पर बेहतर 🙏
जी.धन्यवाद ।
हटाएंMarusthal की betiyon ko जीवंत कर दिया aapne
जवाब देंहटाएंधन्यवाद..🙏
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